BA Semester-1 Pracheen Bhartiya Itihas - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।

अथवा
आर्यों के उद्भव सम्बन्धी विभिन्न मतों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
अथवा
आर्यों का मूल निवास कहाँ था? विवेचना कीजिए।

उत्तर-

आर्य कौन थे और कहाँ से आए? इस प्रश्न को लेकर विद्वानों में मत वैभिन्न है। कुछ विद्वान् आर्यों को भारतीय मूल का मानते हैं, तो कुछ उन्हें विदेशी धरती की उपज मानते हैं। इस प्रकार आर्यों के उद्भव एवं आदि स्थान से सम्बन्धित मतों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है

(क) आर्य भारत के मूल निवासी थे - अनेक विद्वानों की धारणा है कि आर्य मूलतः भारत के ही निवासी थे तथा यहीं से वे विश्व के विभिन्न भागों में गए। पण्डित गंगानाथ झा ब्रह्मर्षि देश, डी.एस. त्रिवेद मुल्तान स्थित देविका, एल.डी. कल्ल कश्मीर तथा हिमालय क्षेत्र में आर्यों का मूल निवास स्थान बताते हैं किन्तु हमें यह तो मान लेना चाहिए कि भारत आर्यों का मूल निवास स्थान नहीं था और वे यहाँ आक्रान्ता के रूप में ही आये थे। सैन्धव सभ्यता आर्य सभ्यता से भिन्न एवं इससे अधिक प्राचीन थी। यदि आर्य भारत के निवासी होते तो वे सर्वप्रथम अपने देश का ही आर्यीकरण करते। समस्त दक्षिणी भारत आज तक आर्यभाषा-भाषी नहीं है। उत्तर-पश्चिमी में बलूचिस्तान में 'ब्राहुई' भाषा का पता चलता है जो द्रविड़ परिवार की भाषा थी। यह इस बात का सूचक है कि सम्पूर्ण भारत अथवा कम-से-कम उसका एक बड़ा भाग भाषा की दृष्टि से अनार्य था। यह आर्यों के भारतीय मूल के सिद्धान्त के विरुद्ध सबसे प्रबल प्रमाण है।

(ख) विदेशी उद्भव सम्बन्धी मत - उतरी ध्रुव आर्यों का आदि स्थान उत्तरी ध्रुव में मानने वाले सर्वप्रथम विद्वान पं. बालगंगाधर तिलक। तिलक महोदय का विचार है का आर्यों ने ऋग्वेद की रचना सप्त सैन्धव प्रदेश में किया था। इसमें एक सूक्त के अन्तर्गत दीर्घकालीन उषा की स्तुति मिलती है। दीर्घकालीन उषा उत्तरी ध्रुव में ही दिखाई देती है। महाभारत में सुमेरु पर्वत का वर्णन मिलता है जहाँ छः महीने का दिन तथा छः महीने की रात होती है। यहाँ भी उत्तरी ध्रुव की ओर संकेत है अतः हम कह सकते हैं कि आर्य उत्तरी ध्रुव के ही निवासी थे और इसी कारण उनके मस्तिष्क में अपनी मूल भूमि की स्मृति बनी हुई थी।

एशिया  - अनेक विद्वानों ने एशिया के विभिन्न क्षेत्रों में आर्यों का मूल निवास स्थान स्वीकार किया है। मैक्समूलर महोदय आयों का आदि देश मध्य एशिया, रोड्स बैक्ट्रिया तथा एडवर्ड मेयर पामीर के पठार को मानते हैं। मेयर महोदय का विचार है कि पामीर के पठार से ही इण्डो-ईरानी जाति पूर्व में पंजाब तथा पश्चिम में मेसोपोटामिया की ओर गई। इस मत का समर्थन ओल्डेनवर्ग तथा कीथ आदि विद्वानों ने भी किया है।

बैन्डेस्टीन महोदय ने बताया है कि भारतीय भाषाकोश से प्रकट होता है कि आर्य मूलतः एक पर्वत के नीचे घास के मैदान में निवास करते थे। यह मैदान यूराल पर्वत के दक्षिण में स्थित किर्जिंग का मैदान था।

जो विद्वान एशिया को आर्यों का मूल स्थान स्वीकार नहीं करते, उनका कहना है कि यूरोपीय भाषा- भाषी परिवार के मुहावरों का प्रसार यह सिद्ध करता है कि आर्यों का मूल निवास स्थान एशिया की अपेक्षा यूरोप में खोजना अधिक तर्कसंगत होगा।

यूरोप - यूरोप महाद्वीप के विभिन्न स्थानों जर्मनी, हंगरी तथा दक्षिणी रूस में विद्वानों ने आर्यों का मूल स्थान निर्धारित करने के पक्ष में अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए हैं। इनका विवरण इस प्रकार हैं-

जर्मनी - जर्मनी को आर्यों का आदिदेश मानने वाले विद्वानों में पेनका, हर्ट आदि प्रमुख हैं। उनके तर्क इस प्रकार हैं

(1) मध्य जर्मनी में स्थित स्कैन्डेनीविया नामक स्थान कभी भी विदेशी आधिपत्य में नहीं रहा तो भी यहाँ के निवासी भारोपीय भाषा बोलते थे। इससे सिद्ध होता है कि भारोपीय भाषा का मूल स्थान यहीं था।

(2) पश्चिम बाल्टिक सागर के तट से सर्वप्राचीन एवं अति साधारण वस्तुएँ पाई गई हैं। यहाँ से प्राप्त पाषाणोपकरण अत्यन्त कलापूर्ण एवं तकनीकी दृष्टि से उत्तम कोटि के हैं। ये सब भारोपीयों की कृतियाँ हैं। मध्य जर्मनी से भी प्रागैतिहासिक काल के कुछ मृद्भाण्ड पाए गए हैं। इन्हें भी प्राचीन आर्यों से ही सम्बन्धित किया गया है।

(3) आर्यों की शारीरिक विशेषताएँ भी उन्हें जर्मनी का आदिवासी बताती हैं, जैसे उनकी एक प्रमुख विशेषता भूरे बालों का होना है। आज भी जर्मनी के लोग भूरे बालों वाले पाए जाते हैं।

परन्तु यदि उपर्युक्त तर्कों की आलोचनात्मक समीक्षा की जाए तो बड़ी आसानी से उनका खण्डन हो जाएगा। एकमात्र भाषाई आधार पर स्कैन्डेनीविया को आर्यों का मूल स्थान नहीं माना जा सकता है। किसी स्थान की भाषा का परिवर्तित न होना उसके बोलने वालों की प्रगतिहीनता तथा संकीर्णता को भी सूचित करता है न कि उसकी प्राचीनता को। बाल्टिक सागर तथा मध्य जर्मनी से मिलते-जुलते उपकरण तथा मृद्भाण्ड कुछ अन्य स्थानों जैसे दक्षिणी रूस, पोलैण्ड, त्रिपोल्जे आदि से भी मिलते हैं। कुछ उपकरण जर्मनी के उपकरणों से भी अधिक प्राचीन हैं। जहाँ तक भूरे बालों का प्रश्न है तो यह एकमात्र जर्मनी के निवासियों की ही विशेषता नहीं है। पतंजलि ने भारतीय ब्राह्मणों को भी भूरे बालों वाला बताया है, तो क्या हम केवल इसी आधार पर भारत को आर्यों का आदि देश स्वीकार कर सकते हैं?

हंगरी - आर्यों का मूल निवास स्थान हंगरी अथवा डेन्यूब नदी घाटी के मानने वाले विद्वानों में गाइल्स सर्वप्रमुख हैं। विभिन्न भारोपीय भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद उन्होंने यह बताया है कि आर्य मूलतः एक ऐसे स्थान पर रहते थे जहाँ पर्वत, नदियाँ, झील आदि थे तथा गेहूं, जौ की प्रमुख रूप से खेती की जाती थी और गाय, बैल, भेड़, घोड़ा, कुत्ता आदि पशु पाले जाते थे। ये सभी विशेषताएँ हंगरी प्रदेश अथवा डेन्यूब नदी घाटी में प्राप्त होती है अतः यही आर्यों का मूल निवास स्थान रहा होगा।

किन्तु यह मत भी असंगत है। इस प्रकार की विशेषताएँ कुछ अन्य स्थानों पर भी पाई जाती हैं। मात्र भाषा विज्ञान के आधार पर इस समस्या का हल निकालना उचित नहीं लगता।

दक्षिणी रूस - मेयर, पीक तथा गार्डन चाइल्डस जैसे विद्वानों ने पुरातात्त्विक एवं भाषाजन्य सामग्रियों के आधार पर दक्षिणी रूस को आर्यों का मूल निवास स्थान माना है। दक्षिणी रूस में किए गए उत्खननों में लगभग इसी प्रकार की संस्कृति के अवशेष मिले हैं जो आर्यों के समय में थे। यहाँ की खुदाई से अश्व का अवशेष भी मिला है जो आर्यों का प्रिय पशु था। पिगट महोदय के अनुसार आर्य दक्षिणी रूस के एक विस्तृत प्रदेश पर निवास करते थे। दक्षिणी रूस के त्रिपोल्जे से लगभग तीस हजार ईसा पूर्व के मृद्भाण्ड प्राप्त हुए हैं। इस आधार पर नेहरिंग ने दक्षिणी रूस को आर्यों का आदि-देश बताया है। भारोपीय * तथा मध्य रूस की फिनो उग्रीयन भाषाओं में आश्चर्यजनक समता दिखाई देती है जो इस बात का सूचक है कि भारोपीय तथा मध्य रूस की जाति में प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक सम्पर्क था। अतः उक्त विद्वानों के अनुसार दक्षिणी रूस को आर्यों का मूल निवास स्थान स्वीकार किया जा सकता है।

आर्यों को विदेशी मूल का मानने का मत प्रधानतया भाषा विज्ञान पर आधारित होने के कारण बहुत अधिक सबल नहीं है। वेद में कोई उद्धरण ऐसा नहीं है जो यह सिद्ध कर सके कि आर्य यहाँ आक्रान्ता के रूप में आये थे। 'आर्य' शब्द को जातिवाची मानना ठीक नहीं है। ऋग्वेद के मन्त्रों में प्रयुक्त शब्दों की संख्या 153972 हैं जिसमें 'आर्य' शब्द मात्र 33 बार ही आता है। भाषाविदों ने तुलनात्मक भाषा विज्ञान को एक प्रामाणिक शास्त्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है किन्तु भाषा एक सांस्कृतिक इकाई है जिसका किसी जाति विशेष से सम्बन्ध स्थापित करना उचित नहीं है। एक ही प्रजाति के लोग विभिन्न भाषा-भाषी हो सकते हैं। ऋग्वेद में आर्य तथा दास-दस्यु के बीच जो विभेद किया गया है वह प्रजातीय न होकर धार्मिक लगता है। आर्य तथा दास-दस्यु किसी जन समुदाय, प्रजाति अथवा जनजाति के नाम नहीं लगते। इनका विरोध धार्मिक व अधार्मिक का विरोध है। दास-दस्युं का प्रयोग परिचायक के रूप में भी मिलता है। 'दस्यु' शब्द ईरानी भाषा में भी मिलता है जो ग्रामीण जन का सूचक है। जहाँ तक 'ब्राहुई' भाषा का प्रश्न है इसका दक्षिण की द्रविड़ भाषा से दूर का ही सम्बन्ध हो सकता है। उत्तर-पश्चिम में इसके व्यापक प्रचलन का प्रमाण नहीं मिलता। कुछ विद्वानों का कहना है कि बलूचिस्तान में ब्राहुई भाषा-भाषी लोग बाहर से आये थे जबकि कुछ विद्वान इस भाषा को बोलचाल की आधुनिक पूर्वी एलमी भाषा बताते हैं। यह भी दृष्टव्य है कि गोदावरी के दक्षिण में सैन्धव सभ्यता का कोई साक्ष्य नहीं मिलता। जहाँ तक इन्द्र को 'पुरन्दर' अर्थात् पुरों को ध्वस्त करने वाला कहे जाने का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में उल्लेखनीय है कि कोटदीजी तथा कालीबंगन के प्राक् सैन्धव स्थलों से भी दुर्गीकरण के साक्ष्य मिल चुके हैं। स्वयं सिन्धु सभ्यता के लोगों द्वारा पूर्ववर्ती संस्कृति के दुर्गों का भेदन किया जाना भी सम्भव है। ऐसी स्थिति में अब केवल आर्यों के ही देवता को 'पुरन्दर' नहीं कहा जा सकता। पुनश्च इससे यह भी निष्कर्ष निकलता है कि इन्द्र शत्रु नगरों का विजेता था। पुरातत्त्व से भी आर्यों के आक्रान्ता होने की बात पुष्ट नहीं होती।

जो विद्वान् आर्यों को विदेशी मूल का मानते हैं उनका आधार मैक्समूलर द्वारा निर्धारित ऋग्वेद की तिथि है। सूत्र साहित्य को ई.पू. 600-200 में रखते हुए वे इसके पूर्ववर्ती साहित्य जिसका विभाजन वे ब्राह्मण काल, मन्त्रकाल तथा छन्दकाल में करते हैं, के लिए दो-दो सौ वर्षों की अवधि निर्धारित करते हुए प्रस्तावित करते हैं कि वैदिक मन्त्रों की रचना लगभग 1200 ई.पू. में हुई। यह निष्कर्ष उस समय तक ठीक था जब तक पश्चिम के लोगों को वैदिक साहित्य के विषय में बहुत कम ज्ञान था परन्तु अब यह मत अमान्य हो गया है। स्वयं मैक्समूलर ने भी अपने जीवन के अन्तिम दिनों में इसे त्याग दिया था। पुनश्च मैक्समूलर द्वारा निर्धारित तिथिक्रम की विधि संदिग्ध है और इसे सत्य नहीं माना जा सकता।

इस प्रकार उपरोक्त वर्णित तथ्यों के आधार पर आर्यों के आदिस्थान के सन्दर्भ में किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचना कठिन है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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